Dard Status For Facebook
हर जुर्म पे उठती है उँगलिया मेरी तरफ, मेरे सिवा शहर में मासूम है लोग सारे !!??।,,,,
बेबसी किसे कहते है ये पूछो उस परिंदे से, जिसका पिंजरा रखा भी तो खुले आसमान के तले !!??।,,,,
ऐ नसीब एक बात तो बता जरा, सब को आजमाता है या मुझसे ही दुश्मनी है??।,,,,
बड़ी बेरंग सी हो गयी है अब मेरी ज़िन्दगी, एक वक़्त था जब लोग मुझसे खुश होने का राज़ पूछते थे !!??।,,,,
मेरे अल्फाजो को सुनने वाले तो बहुत है, पर मेरी ख़ामोशी को समझने वाला कोई नहीं !!??।,,,,
ए दोस्तो इश्क़ का दस्तूर ही कुछ ऐसा होता है, जो इसको जान लेता है ये साला उसीकी जान ले लेता है !!??।,,,,
जिसने देखा ही नहीं आंसुओं की बरसात का मौसम, वो शख्श क्या जाने की दिल का दर्द क्या है !!??।,,,,
क्या पानी पे लिखी थी मेरी तकदीर मेरे मालिक, हर ख्वाब बह जाता है मेरे रंग भरने से पहले ही !!??।,,,,
यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे मेरे आज से, मगर कभी-कभी बीता हुआ कल बहुत याद आता है !!??।,,,,
वापसी का कोई सवाल ही नहीं, घर से निकला हूँ, आँसुओ की तरह !!??।,,,,
हर कोई मुझे जिंदगी जीने का तरीका बताता है, उन्हे कैसे समझाऊ की एक ख्वाब अधुरा है वर्ना जीना मुझे भी आता है !!??।,,,,
मुझको ढूँढ लेता है, रोज किसी बहाने से, दर्द वाकिफ हो गया है, मेरे हर ठिकाने से !!??।,,,,
क्या लिखु अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तो, वो लोग ही बिछड़ गए है जो जिंदगी हुआ करते थे !!??।,,,,
थोडी मुस्कुराहटे ऊधार दे दे मूझे ए ज़िन्दगी, कुछ अपने आ रहे है, मिलने की रस्म निभानी है !!??।,,,,
अब मेरी जिंदगी की दुआ मांगते है लोग, जब मैंने जिंदगी को नजर से गिरा दिया !!??।,,,,
आज जिस्म में जान है तो देखते नही हैं लोग, जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग !!??।,,,,
जिन्दगी बैक टू बैक दर्द दे रही है, डर है कहीं बड़ा होकर अल्ताफ राजा न बन जाऊ !!??।,,,,
न जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला, वो लम्हे जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए !!??।,,,,
दहशत सी होने लगी है, इस सफ़र से अब ऐ जीन्दगी कहीं तो पहुँचा दे, ख़त्म होने से पहले !!??।,,,,
खुद कभी बेचा करता था दर्दे दिल की दवा, आज वक़्त मुझे अपनी ही दुकान पर ले आया !!??।,,,,
हमसे खेलती रही दुनिया ताश के पत्तो की तरह, जिसने जीता उसने भी फेंका और जिसने हारा उसने भी फेंका !!??।,,,,
वक़्त भी लेता है करवटे कैसी कैसी, इतनी तो उम्र भी नहीं थी, जितने हमने सबक सीख लिए !!??।,,,,
कीसी की तलाश में मत नीकलो, लोग खो नहीं जाते, बदल जाते है !!??।,,,,
ख़्वाहिशों का कैदी हूँ मैं, मुझे हकीक़ते सज़ा देती है !!??।,,,,
आंसुओ का कोई वजन नहीं होता दोस्त, पर न जाने इनके गिर जाने से मन हल्का क्यूँ हो जाता है !!??।,,,,
काट कर मेरी जुबां कर गया खामोश मुझे, बेखबर को नहीं मालूम की मन बोलता है !!??।,,,,
लगी प्यास गज़ब की थी और पानी में जहर भी था, पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते !!??।,,,,
नए लोग से आज कुछ तो सीखा है, पहले अपने जैसा बनाते है फिर अकेला छोड़ देते है !!??।,,,,
लोग अकसर पूछते है किसके लिये लिखते हो, अऔर अकसर दिल यही केहता है काश कोई होता !!??।,,,,
तकदीर ने यह कहकर बडी तसल्ली दी है मुझे की, वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे, जिन्हें मैंने दूर किया है !!??।,,,,
मेरे दर्द भी औरो के काम आते है, मैं जो रो दूँ तो लोग मुस्कुराते है !!??।,,,,
जब लगा था तीर तब इतना दर्द ना हुआ, जख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनो के हाथ !!??।,,,,
कैसे बयान करू अपने दर्द को, सुनने वाले बहुत है पर महेसुस करने वाला कोई नहीं !!??।,,,,
कल रात मैंने अपने सारे ग़म कमरे की दीवार पर लिख डाले, बस फिर हम सोते रहे और दीवारें रोती रही !!??।,,,,
सामान बाधें हुए इस सोच में गुम हुँ, जो कहीं के नहीं रहते वो कहाँ जाते है !!??।,,,,
जिस परिंदे को अपनी उड़ान से फुरसत ना थी कभी, आज हुआ तनहा तो मेरी ही दिवार पे आ बैठा !!??।,,,,
किसे परवाह है बिजलियों के गिरने की, खाक होने को जब आशियाना ही न रहा !!??।,,,,
उनको डर है की हम उन के लिए जान नही दे सकते, और मुझे खौफ है की वो रोएंगे बहुत मुझे आज़माने के बाद !!??।,,,,
यूँ ही नहीं आ जाता शायरी का हुनर, किसी की मोहब्बत में खुद को तबाह करना पड़ता है !!??।,,,,
उन लम्हों की यादें ज़रा संभाल के रखना, जो हमने साथ बिताये थे, क्यूंकि हम याद तो आयेंगे मगर लौट कर नहीं !!??।,,,,
जब भी मेरी कलम कोई आह भरती है, पता नहीं ये दुनिया क्यूं वाह-वाह करती है !!??।,,,,
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँटो की कगार पर, पर आज फूलों ने मचाई है भीड़ हमारी मज़ार पर !!??।,,,,
तुम्हारा शक सिर्फ हवाओ पे गया होगा, चिराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा !!??।,,,,
ये दिल भी कितना पागल है, हंमेशा उसी की फिकर में डुबा रहता है जो इसका होता ही नहीं है !!??।,,,,
हमने तो सिर्फ अपने आंसुओं की वजह लिखी है, पता नहीं लोग क्यों कहते है की वाह ! क्या ग़ज़ल लिखी है !!??।,,,,
कभी भी ख़ुशी मे Status नहीं लिखा जाता है, ये वो धुन है जो दिल टूटने पर बनती है !!??।,,,,
मैं किस्मत का सबसे पसंदीदा खिलौना हूँ, वो रोज़ जोड़ती है मुझे फिर से तोड़ने के लिए !!??।,,,,
तेरे दावे है तरक्की के तो फिर ऐसा क्यों है, मुल्क मेरा आज भी फुटपाथ पर सोता क्यों है !!??।,,,,
अज़ीब किस्सा देखा आज हमने खुदकुशी का, एक आदमी ने ज़िंदगी से तंग आकर मोहब्बत कर ली !!??।,,,,
दिल तो करता है की रूठ जाऊँ कभी बच्चों की तरह, फिर सोचता हूँ की मनाएगा कौन ???।,,,,
यह कह कर मेरा दुश्मन मुझे हँसते हुए छोड़ गया, की तेरे अपने ही बहुत है तुझे रुलाने के लिए !!??।,,,,
क्या खूब सिला दिया है दिल लगाने का, लहजा भी भूल गया हूँ मैं मुस्कुराने का !!??।,,,,
समझौतो की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता छुट गया, इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया !!??।,,,,
कैद करके तेरे चहेरे को, मेरी आँखों ने खुदकुशी कर ली !!??।,,,,
ये ना पुछ मै शराबी कयूँ हुआ, बस युं समझ ले की, गमों के बोझ से नशे की बोतल सस्ती लगी !!??।,,,,
कोई और इल्जाम है तो वो भी देते जाओ, हम तो पहले से ही बुरे थे थोड़े और सही !!??।,,,,
सोचते है सीख ले हम भी बेरुखी करना सबसे, सब को मोहब्बत देते देते हमने अपनी क़दर खो दी है !!??।,,,,
बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में, जब से हुआ है, कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता !!??।,,,,
तुम अपने जुल्म की इन्तहा कर दो, फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले !!??।,,,,
काश ! ऐसी लापरवाही हो जाये मुझसे की, मैं अपनी गम की गठरी कहीं भूल जाऊ !!??।,,,,
दुनियावालों ने तो फकत उसको हवा दी थी, लोग तो घर के ही थे आग लगाने वाले !!??।,,,,
लड़ना ही मुकद्दर है तो फिर लड़ के मरेंगे, ख़ामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा !!??।,,,,
ना जाने किन रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को, रात भर बिना कंबल के तन्हा भटकता है आसमान मे !!??।,,,,
मैं तुमसे अब कुछ नहीं माँगता ए ख़ुदा, तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंजूर नहीं !!??।,,,,
तमाम जख्मो के साथ इसलिये जी रही हु की, एक दिन तो वो मिलेगा जो मरहम लगाना जानता है !!??।,,,,
ना उजाड़ ए ख़ुदा किसी के आशियाने को, बहुत वक़्त लगता है, एक छोटा सा घर बनाने को !!??।,,,,
न कसूर इन लहरो का था, न कसूर उन तूफानो का था, हम बैठ ही लिये थे उस कश्ती में, नसीब में जिसके डूबना था !!??।,,,,
ख़ुदा तूने तो लाखो की तकदीर संवारी है, मुझे दिलासा तो दे की अब तेरी बारी है !!??।,,,,
बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है, लोग गलतफहमी में है की शायद कहीं मरहम बिकता है !!??।,,,,
फिक़र तो तेरी आज भी है पर, जिक़र करने का हक़ नहीं रहा !!??।,,,,
इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत, आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला !!??।,,,,
आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की, ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो !!??।,,,,
जिन्दगी भर कोई साथ नहीं देता यह जान लिया हमने, लोग तो तब याद करते है जब वो खुद अकेले होते है !!??।,,,,
ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से हर चीज़ मिली, मगर उनके बाद ज़िन्दगी न मिली !!??।,,,,
टूटे हुए सपनो और छूटे हुए अपनोने मार दिया, वरना खुशी खुद हमसे मुस्कूराना सिखने आया करती थी !!??।,,,,